डेंगू के लक्षण – इस लेख मे आपको डेंगू के लक्षण तथा डेंगू बुखार व इसके इलाज से जुडी हुई बहुत सारी जानकारियाँ मिलेगी जो आपके लिये मददगार साबित होगी। आशा करता हूँ की आपको ये लेख पसंद आएगा।
डेंगू एक गंभीर बीमारी है, जो एडीज एजिप्टी (Aedes egypti) नामक प्रजाति के मच्छरों से फैलता है। इसके कारण हर साल अनेक लोगों की मृत्यु हो जाती है।
जब कोई मच्छर डेंगू बुखार से ग्रस्त किसी रोगी को काटता है, और फिर वही मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काट लेता है, तो वायरस स्वस्थ व्यक्ति के खून में पहुंच जाता है। इससे स्वस्थ व्यक्ति को भी डेंगू बुखार हो जाता है। मच्छर के एक बार काटने से भी डेंगू होने की संभावना रहती है।
डेंगू के लक्षण – dengue symptoms in hindi
डेंगू बुखार एक वायरस के कारण होता है, जो मच्छरों द्वारा फैलता है। डेंगू के वायरस को फैलने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है, और ये माध्यम मच्छर होते हैं।
डेंगू बुखार को हड्डीतोड़ बुखार (Breakbone fever) भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें रोगी को हड्डी टूटने जैसा दर्द होता है। इस बात का ध्यान रखें कि डेंगू के लक्षण दिखते ही तुरंत जांच और इलाज करवाएं।
डेंगू वायरस से संक्रमित होने के 3 से 14 दिनों के बाद ही किसी व्यक्ति में लक्षण दिखते हैं। ज्यादातर 4 या 7 दिनों के बाद लक्षण दिखना शुरू हो जाता है।
डेंगू बुखार के लक्षण – dengue ke lakshan
- अचानक तेज बुखार (104 – 105 डिग्री फारेनहाइट )
- जोड़ों और मांसपेशियों में गंभीर दर्द
- ब्लड प्रेशर (Blood pressure) का तेजी से गिरना और हृदयगति का कम होना
- आँखों का लाल होना और दर्द होना
- चेहरे पर गुलाबी दाने निकलना डेंगू का सूचक है
- भूख ना लगना, सिर दर्द, ठंड लगना, बुखार आना। इन चीजों के साथ डेंगू की शुरुआत होती है
- हल्का रक्तस्राव (जैसे नाक से खून बहना, मसूड़ों से खून आना, या आसान चोट लगना)
- जी मिचलाना, उल्टी आना, दस्त होना
- त्वचा पर लाल चकत्ते, जो बुखार आने के दो से पांच दिन बाद दिखाई देते हैं
उपरोक्त सभी लक्षण डेंगू के पहले चरण में होते हैं। यह चार दिन तक चल सकते है।
डेंगू के दूसरे चरण में बढ़ा हुआ शरीर का तापमान कम हो जाता है, और पसीना आने लगता है। इस समय शरीर का तापमान सामान्य होकर रोगी बेहतर महसूस करने लगता है, लेकिन यह एक दिन से ज्यादा नहीं रहता।
डेंगू के तीसरे चरण में शरीर का तापमान पहले से और अधिक बढ़ने लगता है, और पूरे शरीर पर लाल दाने दिखने लगते हैं।
गंभीर डेंगू के चेतावनी संकेत – 7 warning signs of dengue fever
गंभीर डेंगू बुखार तब होता है जब आपकी रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और उनमें रिसाव होने लगता है। और आपके रक्तप्रवाह में थक्का बनाने वाली कोशिकाओं (प्लेटलेट्स) की संख्या कम हो जाती है। इससे आघात, आंतरिक रक्तस्राव, अंग विफलता और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
अगर आपको भी बुखार के साथ ही निम्नलिखित गंभीर लक्षण नजर आए, तो इन्हें बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। ये डेंगू के गंभीर होने का संकेत देते हैं, जो जानलेवा भी हो सकते हैं। उल्टी, रक्तस्त्राव और पेट में दर्द होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
- तेज पेट दर्द
- लगातार उल्टी होना
- मसूड़ों या नाक से खून आना
- मूत्र, मल या उल्टी में रक्त आना
- सांस लेने में कठिनाई होना (मुश्किल या तेजी-तेजी सांस लेना)
- त्वचा के नीचे रक्तस्राव, जो खरोंच जैसा लग सकता है
- सुस्ती, चिड़चिड़ापन या बेचैनी होना
- प्लेटलेट्स में तेजी से कमी
डेंगू मच्छर – dengue mosquito
डेंगू के मच्छर को मादा एडीज़ मच्छर कहते हैं। चीते जैसी धारियों वाले मादा एडीज़ इजिप्टी मच्छर के काटने से शरीर में डेंगू फैलता है। यह मच्छर अक्सर सुबह के समय ही काटते हैं।
रिपोर्ट्स में सामने आया है कि डेंगू के मच्छर दिन में खासकर सुबह के वक्त काटते हैं। वहीं अगर रात में रोशनी ज्यादा है, तो भी यह मच्छर काट सकते हैं। इसलिए सुबह और दिन के वक्त घर के आसपास मच्छरों को न रहने दें।
एडीज इजिप्टी मच्छर बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाते, इंसान के घुटने के नीचे तक ही पहुंच पाते हैं। इसलिए शरीर को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े ही पहनें ताकि मच्छर से बच सकें।
सुबह के वक्त भी पांव और हाथों को ढककर रखें। डेंगू के मच्छर गंदी नालियों में नहीं बल्कि साफ सुथरे पानी में पनपते हैं, साफ सुथरे शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों को इसका ज्यादा खतरा रहता है।
डेंगू के कारण क्या है – causes of dengue
डेंगू चार वायरसों के कारण होता है, जो इस प्रकार हैं – डीईएनवी-1, डीईएनवी-2, डीईएनवी-3 और डीईएनवी-4
जब मच्छर पहले से संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है। और बीमारी तब फैलती है जब वह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, और वायरस व्यक्ति के रक्तप्रवाह के जरिये फैलता है।
एक बार जब कोई व्यक्ति डेंगू बुखार से उबर जाता है, तो वह विशिष्ट वायरस से प्रतिरक्षित होता है, लेकिन अन्य तीन प्रकार के वायरस से नहीं।
यदि आप दूसरी, तीसरी या चौथी बार संक्रमित होते हैं तो गंभीर डेंगू बुखार, जिसे डेंगू रक्तस्रावी बुखार के रूप में भी जाना जाता है, के विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।
डेंगू टेस्ट नाम – dengue test name – dengue test price
डेंगू बुखार के लक्षण व संकेत अविशिष्ट होते हैं, इसलिए लेबोरेटरी में डेंगू के संक्रमण की पुष्टी करना महत्वपूर्ण होता है।
डेंगू संक्रमण की जांच के लिए किया जाने वाला टेस्ट समय पर निर्भर करता है। रोग की शुरूआत के दिनों में किए गए सभी टेस्टों के रिजल्ट नेगेटिव आ सकते हैं। हालांकि, सफेद रक्त कोशिकाओं में कमी या प्लेटलेट्स में कमी आदि वायरल संक्रमण का संकेत दे सकते हैं।
डेंगू बुखार का परीक्षण करने के लिए निम्न प्रकार के टेस्ट किए जा सकते हैं:
1. डेंगू वायरस के लिए मोलक्यूलर टेस्ट – PCR Test
यह टेस्ट वायरस की उपस्थिति का पता लगाता है। इस टेस्ट से रोग के लक्षणों की शुरुआत के बाद 7 दिनों तक डेंगू बुखार का परीक्षण कर सकते हैं और चार अलग-अलग प्रकार के डेंगू वायरसों का पता लगा सकते हैं, जो संक्रमण का कारण बनते हैं।
इस टेस्ट मे टेस्ट मरीज के खून में डेंगू की आनुवंशिक सामग्री के टुकड़े और प्रोटीन की खोज करते हैं या किसी विशेष सेल कल्चर में वायरस को विकसित करते हैं। टेस्ट का रिजल्ट बहुत ही सटीक और विशिष्ट होता है, जो आम एंटीबॉडी टेस्टों के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद होता है। आम एंटीबॉडी टेस्ट कई बार वायरसों की गलत पहचान बता देता है।
इस टेस्ट की औसत कीमत 2000 रुपये से लेकर 2500 रुपये तक हो सकती है।
2. एनएस1 एंटीजेन – NS1 Antigen Test
अगर मरीज रोग के लक्षण उभरने के 5 दिनों के भीतर चेकअप करवाने आता है, तो इसे बीमारी का शुरूआती चरण कहा जाता है। इसमें तुरंत खून का सैम्पल लिया जाता है। एक प्राथमिक संक्रमण के ज्वर-संबंधी चरण के दौरान एनएस1 एंटीजेन का पता लगाना काफी बेहतर हो सकता है।
इस टेस्ट की औसत कीमत 700 रुपये से लेकर 1200 रुपये तक हो सकती है।
3. आईजीएम और आईजीजी एंटीबॉडी टेस्ट – IgM and IgG Antibody test
अगर मरीज रोग के लक्षण उभरने के 6 या उससे अधिक दिन बाद आता है, तो ब्लड सैम्पल जितना जल्दी हो सके निकाल लेना चाहिए। फिर इस सैम्पल से सीरम आईजीएम एंटीबॉडी टेस्ट करना चाहिए।
आईजीजी और आईजीएम टेस्ट मुख्यतः डेंगू वायरस की विशिष्ट एंटीबॉडी का टेस्ट होता है। संक्रमण के बाद के चरणों में परीक्षण की पुष्टि करने में यह उपयोगी हो सकता है।
आईजीजी और आईजीएम दोनों टेस्ट 5 से 7 दिनों के बाद किए जाते हैं। प्राथमिक संक्रमण के बाद आईजीएम के उच्चतम स्तर (प्रतिभूतियों) का पता चलता है, लेकिन आईजीएम टेस्ट को फिर से होने वाले संक्रमण की जाँच के लिए उपयोग किया जाता है।
IgM टेस्ट की औसत कीमत 550 रुपये से लेकर 750 रुपये तक हो सकती है।
IgG टेस्ट की औसत कीमत 700 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक हो सकती है।
गंभीर डेंगू बुखार के लक्षणों के मामले में डॉक्टर अन्य अंगों में डेंगू संक्रमण के प्रसार को जानने के लिए अन्य रक्त परीक्षण और रेडियोलॉजी इमेजिंग परीक्षण का सुझाव दे सकते हैं, जो निम्नलिखित है:
- लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) – एडीज मच्छर के वायरस हेपेटोटॉक्सिक प्रभावों के कारण सीरम बिलीरुबिन, उन्नत ट्रांसएमिनेस और सीरम एल्ब्यूमिन में मामूली वृद्धि का पता लगाने के लिए जो घातक परिणामों के साथ तीव्र यकृत विफलता का कारण बन सकता है।
- रीनल फंक्शन टेस्ट (RFT) – सीरम क्रिएटिनिन स्तर की जांच करने के लिए जो विभिन्न प्रकार के गुर्दे की बीमारियों का कारण बन सकता है जैसे कि एक्यूट रीनल फेल्योर, एक्यूट ट्यूबलर नेक्रोसिस, हेमोलिटिक यूरेमिक सिंड्रोम, हाइपोटेंशन, रबडोमायोलिसिस, प्रोटीनुरिया, ग्लोमेरुलोपैथी, नेफ्रोटिक सिंड्रोम या हेमोलिसिस।
- चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray) – प्ल्यूरल इफ्यूजन (फुफ्फुस बहाव) और पेरिकार्डियल इफ्यूजन (डेंगू बुखार के संक्रमण के कारण दिल के चारों ओर परतदार संरचना जिसे पेरिकार्डियम कहा जाता है में तरल पदार्थ का जमना) की जांच करने के लिए के लिए किया जाता है।
- ईसीजी (ECG) – डेंगू संक्रमण के कारण हृदय की विद्युत गड़बड़ी की जांच करने के लिए। कई रोगियों में डेंगू संक्रमण के कारण पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम की इलेक्ट्रोलाइट असामान्यताओं के कारण होने वाली ईसीजी असामान्यताएं मुख्य रूप से साइनस ब्रैडीरिथिमियास, वेंट्रिकुलर ऐसिस्टोल, साइनस टेकीअरिथमियास, सुप्रावेंट्रिकुलर टैचीकार्डिया (एसवीटी) और एसटी- और टी-वेव परिवर्तन देखी गईं।
- अल्ट्रासाउंड एब्डोमेन (USG) – मुख्य रूप से डेंगू बुखार के संक्रमण के कारण होने वाली सेरोसाइटिस, पेट में तरल पदार्थ, पित्ताशय की थैली की सूजन, पेरिकोलेसिस्टिक द्रव, जलोदर (आपके पेट के भीतर रिक्त स्थान में द्रव का निर्माण) जैसी स्थितियों की जांच करने के लिए किया जाता है।
- 2डी इकोकार्डियोग्राफी (2D Echo) – हृदय की मांसपेशियों को हुए नुकसान की जांच करने के लिए। गंभीर डेंगू बुखार हृदय को संरचनात्मक और कार्यात्मक रूप से प्रभावित करता है। डेंगू वायरस के संक्रमण से होने वाली कार्डियक जटिलताओं में स्व-सीमित अतालता से लेकर गंभीर मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन तक भिन्न होता है, जिससे हाइपोटेंशन, पल्मोनरी एडिमा और कार्डियोजेनिक शॉक होता है।
- डी-डिमर (D-dimer) – रक्त में डी-डिमर मान की जांच करने के लिए किया जाता है। डी-डिमर एक प्रोटीन का टुकड़ा होता है जो आपके शरीर में रक्त के थक्के के घुलने पर बनता है। डेंगू बुखार के संक्रमण से रक्त में डी-डिमर का स्तर बढ़ सकता है और इसके परिणामस्वरूप शरीर में दर्द, सीने में तेज दर्द, तेज बुखार, सांस लेने में परेशानी और आपके हाथ या पैर की त्वचा के रंग में बदलाव हो सकता है।
- फाइब्रिनोजेन टेस्ट – फाइब्रिनोजेन के स्तर की जांच करने के लिए किया जाता है। फाइब्रिनोजेन एक रक्त प्रोटीन है जो लीवर में बनता है और रक्त के थक्के जमने में मदद करता है। फाइब्रिनोजेन की कमी के कारण रक्त को थक्का जमना मुश्किल हो जाता है। जटिल डेंगू रक्तस्रावी बुखार के रोगियों में अत्यधिक रक्तस्राव की प्रवृत्ति होती है, डॉक्टर आपके फाइब्रिनोजेन स्तरों की जांच के लिए इस परीक्षण को करते हैं।
- फाइब्रिन डिग्रेडेशन उत्पाद रक्त परीक्षण (FDP) – एफडीपी स्तरों की जांच करने के लिए किया जाता है।फाइब्रिन डिग्रेडेशन उत्पाद (एफडीपी) वे पदार्थ होते हैं जो रक्त में थक्के घुलने पर पीछे रह जाते हैं। डेंगू रक्तस्रावी बुखार के कारण बढ़ा हुआ एफडीपी प्राथमिक या द्वितीयक फाइब्रिनोलिसिस (थ्रोम्बोलिसिस) (थक्का-घुलने की गतिविधि) का संकेत हो सकता है।
डेंगू में प्लेटलेट्स कितना होना चाहिए – platelet count in dengue
एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति के खून में प्लेटलेट्स की रेंज 1,50,000 से 4,50,000 प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर (प्लेटलेट्स/μL) होती है।
डेंगू वायरस से संक्रमित होने पर, प्लेटलेट्स की संख्या न्यूनतम स्तर तक पहुंच सकती है, 40,000 प्लेटलेट्स/μL से कम हो सकती है। कुछ मामलों में, आप एक दिन के भीतर गिरावट देख सकते हैं। यह आमतौर पर 3-4 दिनों के बुखार के दौरान, संक्रमण के चरम पर होता है। सह-रुग्णता, प्रतिरक्षा और उम्र भी प्लेटलेट हानि को बढ़ा सकते हैं।
प्लेटलेट्स – platelets
प्लेटलेट्स ब्लड सेल्स होते हैं जो ब्लड क्लॉटिंग में अहम भूमिका निभाते हैं। जब किसी व्यक्ति को चोट लगती है तो यह ब्लड सेल्स खून को बहने से रोकते हैं। एक वयस्क व्यक्ति के खून में प्लेटलेट्स की रेंज 150,000 से 450,000 प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर होती है।
जब प्लेटलेट्स काउंट 150,000 प्रति माइक्रोलीटर से घट जाता है तो इसे लो प्लेटलेट्स कहा जाता है। लो प्लेटलेट काउंट की समस्या को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के रूप में भी जाना जाता है।
इंसान के ब्लड के मुख्य चार भाग होते हैं: एरिथ्रोसाइट्स (रेड ब्लड सेल्स), ल्यूकोसाइट्स (वाइट ब्लड सेल्स), थ्रोम्बोसाइट्स (ब्लड प्लेटलेट्स) और प्लाज्मा।
प्लाज्मा लिक्विड फॉर्म में होता है। ब्लड के अन्य तीन भाग प्लाज्मा के अंदर तैरते हैं। थ्रोम्बोसाइट्स मुख्य रूप से बाहरी और आंतरिक चोटों के कारण होने वाली ब्लीडिंग को रोकता है। ब्लड में प्लेटलेट्स की उपस्थिति के बिना ब्लड क्लॉट (रक्त का थक्का) बनना और घावों से होने वाली ब्लीडिंग रुकना असंभव है। यदि ब्लड में पर्याप्त प्लेटलेट्स नहीं हैं, तो ब्लड क्लॉटिंग नहीं हो सकती है।
प्लेटलेट्स की कमी के लक्षण – लो प्लेटलेट काउंट के लक्षण – low platelet ke lakshan
- मसूड़ों से खून बहना।
- मल या मूत्र में खून आना।
- मासिक धर्म में अधिक ब्लीडिंग होना।
- खून की उल्टी होना।
- मलाशय(रेक्टम) से ब्लीडिंग होना।
- आंतरिक ब्लीडिंग होना।
- लाल या बैंगनी रंग के डॉट्स के साथ रैशेस जिन्हें पेटीचिया कहते हैं।
- लाल, भूरे या बैंगनी रंग के चोट के निशान जिन्हें पुरपुरा कहते हैं।
- कुछ गंभीर लक्षण जैसे मस्तिष्क में ब्लीडिंग होना।
प्लेटलेट्स बढ़ाने वाले फल – fruits to increase platelets
1. पपीता – papaya to increase platelet
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए पपीता का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। साथ ही पपीता की तरह ही पपीता की पत्तियां प्लेटलेट्स को बढ़ाने में काफी फायदेमंद होती है। इसके सेवन से प्लेटलेट्स को बढ़ाने तेजी से बढ़ाने में मदद मिलती है।
2. कीवी – can kiwi increase platelet
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए कीवी का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। कीवी में एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो प्लेटलेट्स के कम होने की स्पीड को रोकते हैं। साथ ही कीवी में विटामिन सी और पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो प्लेटलेट्स को बढ़ाने में मदद करते हैं।
3. चुकंदर – beetroot to increase platelet
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए चुकंदर का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। चुकंदर एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होते हैं, जो प्लेटलेट्स को बढ़ाने में मदद करते हैं। साथ ही ये शरीर में खून बढ़ाने में मदद करता है।
4. आंवला – amla to increase platelet
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए आंवला का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। आंवला में पाए जाने वाले गुण प्लेटलेट्स को बढ़ाने में मदद करते हैं।
प्लेटलेट्स बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा पतंजलि – patanjali medicines to increase platelet
1. पतंजलि गिलोय घन वटी
ब्लड प्लेटलेट बढ़ाने में पतंजलि गिलोय घन वटी अच्छी आयुर्वेदिक दवा है। इसमें प्रमुख रूप से गिलोय जड़ी-बूटी का इस्तेमाल किया जाता है, जो चिकनगुनिया व डेंगू जैसे बुखार से लड़ने के इम्यूनिटी को बढ़ाने का काम करती हैं।
रोजाना दिन में एक बार इस वटी के सेवन से प्लेटलेट काउंट में जल्दी बढ़ोतरी हो सकती हैं।
2. पतंजलि दिव्य गिलोय क्वाथ
पतंजलि दिव्य गिलोय क्वाथ काफी सारे आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर दवा है। इस दवा से शरीर में प्लेटलेट्स बढ़ते हैं।
डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से ठीक होने के लिए इसका प्रयोग कर सकते हैं और इसके सेवन से रिकवरी भी तेजी से होती है। प्लेटलेट्स कम होने पर शरीर में होने वाली कमजोरी भी दूर होती है। इस दवा से इम्यूनिटी तेज करने में भी मदद मिलती है।
3. पतंजलि दिव्य डेंगुनील वटी
पतंजलि दिव्य डेंगुनील वटी प्लेटलेट्स को बढ़ाने में सहायक और हर तरह के बुखार को ठीक करने में भी फायदेमंद है। इस दवा का सेवन डेंगू और चिकनगुनिया से रिकवरी करने के लिए भी फायदेमंद है।
इस दवा का सेवन सुबह उठते ही खाली पेट किया जाता है और रोजाना इसकी एक टैबलेट ही ली जाती है।
4. पतंजलि दिव्य अश्वगंधा चूर्ण
पतंजलि अश्वगंधा चूर्ण प्लेटलेट्स काउंट बढ़ाने के लिए एक असरदार औषधि है। इस दवा का सेवन सुबह-शाम पानी या दूध के साथ लेने से प्लेटलेट्स काउंट बढ़ता है।
ये दवा प्लेटलेट्स काउंट को बढ़ाने में सहायक है। आयुर्वेदिक दवा का सेवन रोजाना दो बार पानी या शहद के साथ लेने से फायदा होता है।
6. पतंजलि दिव्य गिलोय सत
पतंजलि गिलोय सत एक असरदार पतंजलि की आयुर्वेदिक दवा है। इसका सेवन करने से प्लेटलेट्स काउंट बढ़ते हैं। रोजाना इस दवा को दो बार लेने से फायदा मिलता है।
व्यक्ति की प्रकृति और कई कारणों के आधार पर चिकित्सा पद्धति निर्धारित की जाती है। इसलिए उचित औषधि, रोग के निदान हेतु इन आयुर्वेदिक दवाओं एवं औषधियो को लेने से पूर्व आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें।
प्लेटलेट्स बढ़ाने की टेबलेट – tablets to increase platelet
1. कारिसिन टेबलेट – Caricin Tablet
यह पपीता के एक्सट्रेक्ट से बनी हुई टेबलेट हैं। इस टेबलेट का उपयोग आप प्लेटलेट्स बढ़ाने में कर सकते हैं। इस टेबलेट का उपयोग डेंगू और फीवर में भी किया जा सकता हैं।
2. पीताम्बरी पपाया टेबलेट – Pitambari Papaya Tablet
यह भी पपीते से बनी एक आयुर्वेदिक औषधि हैं। इसके सेवन से भी रक्त में प्लेटलेट्स की कमी को बढाया जा सकता हैं।
इन दवाओं (टेबलेट) को लेने से पूर्व चिकित्सक से परामर्श करें।
प्लेटलेट्स बढ़ाने की होम्योपैथिक दवा – homeopathic medicines to increase platelet
ब्लड में प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाने के लिए आप निम्नलिखित होम्योपैथिक दवाओं का सेवन कर सकते हैं। रिसर्च में इन दवाओं को असरदार माना गया है, लेकिन इन्हें होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए।
- अरुम ट्राइफिलम
- पेटेलिया 200C
- पाइरोजेनम 200C
- फेरम मेटालिकम 200C
- लाइकोपोडियम 200C
- एसिडम फॉस्फोरिकम 200C
- आर्सेनिकम एल्बम 200C
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए – how to increase platelets – how to increase platelets in dengue
- एलोवेरा का जूस लेने से प्लेटलेट काउंट ठीक होता है।
- अश्वगंधा के इस्तेमाल से कम हुई प्लेटलेट बढ़ने लगती है।
- फास्फोरस युक्त खुराक लेने से प्लेटलेट बढ़ती है।
- पपीता के पत्ते का रस पीकर कम हुई प्लेटलेट को बढ़ाया जा सकता है।
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं के इस्तेमाल से ब्लड प्लेटलेट काउंट बढ़ता है।
- विटामिन सी से भरपूर आहार ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने में मदद कर सकता है।
- हेल्दी डाइट प्लेटलेट को कम होने से रोकती है।
- नियमित व्यायाम से इसमें लाभ मिलता है।
- तनाव को कम करने से ब्लड प्लेटलेट काउंट को बनाए रखने में मदद मिलती है।
किसी भी दवा को लेने से पूर्व चिकित्सक से परामर्श करें।
डेंगू का इलाज – dengue treatment in hindi
डेंगू बुखार का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, क्योंकि डेंगू एक वायरस है। यथासमय देखभाल से मदद मिल सकती है, जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि बीमारी कितनी गंभीर है।
यदि आपको पेशाब कम होना, शुष्क मुँह या होंठ, सुस्ती या भ्रम, ठंडे या चिपचिपे हाथ-पैर जैसे लक्षण हैं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
डेंगू बुखार के कुछ बुनियादी उपचार निम्नलिखित हैं :
- औषधि : टायलेनोल या पैरासिटामोल जैसी दर्द निवारक दवाएं आमतौर पर रोगियों को दी जाती हैं। गंभीर डिहाइड्रेशन के मामले में कभी-कभी आईवी ड्रिप्स प्रदान की जाती हैं।
- हाइड्रेटेड रहें : बहुत सारे तरल पदार्थ पीना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे शरीर के अधिकांश तरल पदार्थों का उल्टी और तेज बुखार के दौरान ह्रास हो जाता है। तरल पदार्थों के लगातार सेवन से यह सुनिश्चित हो जाता है कि शरीर आसानी से डिहाइड्रेट नहीं होगा।
- स्वच्छता : स्वच्छता का अत्यधिक महत्व है, तब तो और भी ज्यादा जब आप स्वस्थ नहीं होते हैं। मरीज यदि नियमित स्नान नहीं कर सकता तो स्पंज से स्नान का विकल्प चुन सकता है।
नहाने के लिए उपयोग किए जा रहे पानी में डेटॉल जैसे कीटाणुनाशक तरल की कुछ बूंदें मिलाएं। यह भी सलाह दी जाती है कि अस्पताल में मरीज को देखने से पहले और बाद में डेटॉल जैसे किसी हैंड सैनिटाइजर से अपने हाथ साफ करें।
कपड़ों के रोगाणुओं से छुटकारा पाने के लिए रोगी के कपड़े धोने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी को डेटॉल से कीटाणुरहित करें।
बुखार कम होने के बाद, पहले 24 घंटों में अगर आप असहज महसूस करने लगते हैं, तो आपको डेंगू बुखार जटिलताओं की जांच के लिए तुरंत अस्पताल जाना चाहिए।
डेंगू से बचाव के उपाय – dengue se bachne ke upay
डेंगू से बचाव का सबसे अच्छा तरीका संक्रमित मच्छरों के काटने से बचना है। खुद को बचाने के लिए:
- मच्छरदानी का प्रयोग करें, यहाँ तक कि घर के अंदर भी।
- जब बाहर हों, तो लंबी बाजू की शर्ट और मोज़े में लंबी पैंट पहनें।
- घर के अंदर, यदि उपलब्ध हो तो एयर कंडीशनिंग का उपयोग करें।
- सुनिश्चित करें कि विंडो और डोर स्क्रीन सुरक्षित हैं और छिद्रों से मुक्त हैं। यदि सोने के क्षेत्र में स्क्रीनिंग या वातानुकूलित नहीं है, तो मच्छरदानी का उपयोग करें।
- अगर आपको डेंगू के लक्षण हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें।
- मच्छरों की आबादी को कम करने के लिए उन जगहों से छुटकारा पाएं जहां मच्छर पनप सकते हैं। नियमित रूप से पानी बदलें, बाल्टियों से स्थिर पानी को खाली करें।
यदि आपके घर में किसी को डेंगू बुखार हो जाता है, तो मच्छरों से खुद को और परिवार के अन्य सदस्यों को बचाने के प्रयासों के बारे में विशेष रूप से सतर्क रहें। संक्रमित परिवार के सदस्य को काटने वाले मच्छर आपके घर में दूसरों को संक्रमण फैला सकते हैं।
अस्वीकरण (Disclaimer): यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करता है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। Useful Info (usefulinfo.tech) इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है। किसी भी दवा, औषधि या उपचार को लेने से पूर्व चिकित्सक से परामर्श करें।
Source: onlymyhealth.com, pacehospital.com, 1mg.com, jagran.com, dettol.co.in, myupchar.com, lybrate.com, patrika.com, sehatkibat.com